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करणी सेना ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील साजन के खिलाफ किया प्रदर्शन

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील सिंह साजन द्वारा क्षत्रियों को अंग्रेजों का गुलाम बताए जाने पर क्षत्रिय समाज नाराज है, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा व करणी सेना ने सुनील साजन के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से सुनील साजन को पार्टी से निकालने की मांग की है जा रही है।https://satyodaya.com
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लगातार आठवें दिन शेयर बाजार ने लगाया गोता, लाल निशान में बंद में हुए सेंसेक्स व निफ्टी

फ़ाइल फोटो: शेयर मार्केट
मुंबई। एशियाई बाजारों से मिले मजबूत संकेतों के बावजूद टीसीएस, यस बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और आईटीसी जैसी दिग्गज कंपनियों में हुई बिकवाली के दबाव में घरेलू शेयर बाजार सोमवार को लगातार आठवें दिन लाल निशान में बंद हुए, बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 310.51 अंक लुढ़ककर 35,498.44 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 83.45 अंक की गिरावट में 10,640.95 अंक पर बंद हुआ।
विदेशी बाजारों से मिली सकारात्मक खबरों के दम पर सेंसेक्स सुबह बढ़त के साथ 35,831.18 अंक पर खुला और शुरुआती पहर में 35,912.44 अंक के दिवस के उच्चतम स्तर तक पहुंचा। हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के तीन माह के उच्चतम स्तर पर पहुंचने से निवेशकों में जल्द उदासीनता हावी हो गयी और सेंसेक्स लुढ़कता हुआ 35,470.76 अंक के दिवस के निचले स्तर पर आ गया।
वेनेजुएला और ईरान के निर्यात पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध के कारण लंदन का ब्रेंट क्रूड वायदा 0.6 प्रतिशत की तेजी के साथ 66.65 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
निवेशक पुलवामा हमले के कारण बदले राजनीतिक परिदृश्य पर भी नजर बनाये हुए हैं। आगामी लोकसभा चुनाव की आहट भी निवेश धारणा पर दिखने लगी है। अंत में सेंसेक्स गत दिवस की तुलना में 0.87 प्रतिशत की गिरावट में 35,498.44 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स की 30 में से 23 कंपनियां लाल निशान में और सात हरे निशान में रहीं।
निफ्टी भी सेंसेक्स की तरह तेजी के साथ 10,738.65 अंक पर खुला। कारोबार के दौरान यह 10,759.90 अंक के दिवस के उच्चतम स्तर और 10,628.40 अंक के दिवस के निचले स्तर से होता हुआ गत दिवस की तुलना में 0.78 प्रतिशत फिसलकर 10,640.95 अंक पर बंद हुआ। http://www.satyodaya.com
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सर्राफा व्यवसायी के बेटे ने गोली मारकर की खुदखुशी, जानिए वजह

फाइल फोटो
लखनऊ । राजधानी में आए दिन लोगों की हत्या और खुदखुशी की खबरें आती रहती हैं, लेकिन महानगर थाना क्षेत्र के विज्ञानपुरी इलाके में उस समय सन्नाटा हो गया जब एक सर्राफा के बेटे ने खुद को गोली मार ली।
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। उन्होंने पिस्टल को भी अपने कब्जे में ले लिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि मृतक डिपरेशन का शिकार था, जिसकी वजह से उसने खुद को गोली मार ली है।
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वहीं महानगर इंस्पेक्टर का कहना है कि उनके परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक मृतक अनुज केसरवानी का जब से उसकी पत्नी से डाइवोर्स हुआ है तब से वह डिपरेशन का शिकार हो गया है। जिसकी वजह से आज उसने अपने पिता उदय केसरवानी की लाईसेंसी पिस्टल से खुद को भी गोली मार ली और मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर पिस्टल को अपने कब्जे में ले लिया है। साथ ही उन्होंने बताया कि पिस्टल पर लापरवाही बरतने को लेकर भी पुलिस वैधानिक कार्रवाई करेगी।http://www.satyodaya.com
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‘मुंशी प्रेम चन्द और उनकी तरक्की पसन्द’ विषय पर हुआ एक संगोष्ठी का आयोजन

लखनऊ। प्रेम चन्द प्राथमिक रूप से तबकाती जबर (वर्गीय अत्याचार) के विरूद्व आवाज़ उठाते हैं, लेकिन इसके साथ-साथ व्यक्ति की स्वतंत्रता को भी महत्व देते हैं। यह विचार वोकेशनल इंडस्ट्रियल एण्ड वेलफेयर सोसायटी के तत्वाधान और उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी के संयुक्त रूप से स्थित हिन्दी मीडिया सेन्टर, गोमतीनगर, लखनऊ में आयोजित ‘मुंशी प्रेम चन्द और उनकी तरक्की पसन्द’ विषयक गोष्ठी में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की चेयरपर्सन व पद्मश्री प्रो. आसिफा जमानी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा मुंशी प्रेम चंद की रोमानियत पर देशभक्ति का रंग अधिक है जिसका लक्षण उनके प्रारम्भिक कविताओं से होता है। प्रेम चन्द ने उर्दू भाषा व साहित्य के सरमाये फिकर को एक नई जिहत से आशना किया उन्होंने जिन्दगी और कायनात को फिकरो नजर के परम्परागत दृष्टिकोण से हट कर एक नई सतह से देखा। एक ऐसी बुलन्द सतह से जहां से जिन्दगी और इंसानियत का समुद्र करवटें लेता और ठाठें मारता नजर आता है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रदेश के पूर्व डीजीपी रिजवान अहमद ने कहा कि प्रेम चंद पहले साहित्यकार हैं जिन्होंने गांव के किसान, मजदूरों और हरिजनों की प्रतिष्ठा और मानवीय सम्मान को समझा और उनके लिये साहित्य के द्वार खोले, और उन्हें हीरो बना दिया। उनके दुख-सुख की कहानी सुनाकर उर्दू के अफसानवी अदब को नई दिशा प्रदान की।
मेहमाने एजाजी एस0 रिजवान अहमद, सचिव उप्र उर्दू एकेडमी ने अपने संदेश में कहा कि प्रेम चन्द की तखलीकी हुनरमंदी यह है कि उन्होंने हकीकत को इस तरह पेश किया कि पढ़ने वाला इसके आईने में समाज की तस्वीर भी देखता है और प्रेम चन्द की फन्नी अजमत का भी कायल होता है। प्रेम चन्द जब पसमांदा तबकात के और दलित अव्वाम के मसायल को अफसानवी या नाविलों का मौजू बनाते हैं तो वह बयक वक्त इतिहास और साहित्य के रिश्ते का भी जवाज़ भी पेश करते हैं।
मेहमाने जीवकार आसिफ जमां रिजवी ने कहा कि प्रेम चन्द के उर्दू साहित्य पर बड़े एहसानात हैं, उन्होंने साहित्य को जिन्दी का तरजुमान बनाया। जियाउल्लाह सिद्दीकी नदवी और डाॅ. मुजाहिदुल इस्लाम ने सेमिनार में अपना कीमती मकाला पेश करते हुए कहा कि प्रेम चन्द ने अपने अफसानों में सादा जुबान इस्तेमाल की। आपने संस्कृत के शब्द का कम उपयोग किया। आपने अधिकतर किरदारों के मकाले उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति के अनुरूप लिखे साथ इन मकालों के लहजे व तलफ्फुज भी उसी के रंग-व-रूप में उत्पन्न किये। जो आपके जबरदस्त मुशहिदे की प्रमाणता है। आपने हिन्दुस्तान के लोगों को हकीकत पसंदी से अवगत कराया।
डाॅं. मखमूर काकोरवी और डाॅ. मसीहुददीन खान ने मकाले में प्रेम चन्द मुहब्बत का तस्वुर रोमानी असरात के साथ-साथ तलख हकायेक का इहजार करता है। क्योंकि उनका तस्वुर मुहब्बत समाजी रिवायात से संलग्न है जिसमें प्रेम के कई रंग-रूप विद्यमान है। इसके अतिरिक्त संगोष्ठी में डाॅ. जाॅनिसार जलालपुर, डाॅ. साजिद गुफरान, मौलाना सईद अनवर, मौलाना जिल्लुर्रहमान आदि ने भी अपने मूल्यवान मकालों में प्रेम चन्द की साहित्य प्रतिष्ठा को सलाम व नमम किया।
संगोष्ठी के प्रारम्भ में कार्यक्रम के कंवेनर अब्दुल नईम कुरैशी ने प्रारम्भिक शब्द कहे और अतिथियों को पुष्प देकर स्वागत किया और नात पाक पेश किया। कार्यक्रम का सफल सुन्दर संचालन उप्र उर्दू एकेडमी के अकील अहमद फारूकी ने किया। इस अवसर पर मौलाना कारी बदरूद्दीन मिसबाही, प्रधानाचार्य, मदरसा दारूल उलूम निजामियां को उनकी धार्मिक सेवा के लिये और नजमुल हसन, वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट दैनिक आग को सहाफती खिदमात के लिये अतिथियों के करकमलों द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से चैधरी सलमान कादिर, गुफरान खान, मो. मतीन कुरैशी, मो. अनस कुरैशी, अब्दुर्रहमानन कुरैशी, सै. सुफयान वारसी के अतिरिक्त काफी संख्या में साहित्यकारों की उपस्थिति रही। अंत में अब्दुल नईम कुरैशी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। http://www.satyodaya.com
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