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सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक बिल पर अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका ठुकराई

सुप्रीम कोर्ट । सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक केरल के एक मुस्लिम संगठन समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने का याचिका दायर कि थी ।
अध्यादेश को मंत्रिपरिषद से मिली थी मंजूरी
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी । बता दें कि मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश 19 सितंबर को अधिसूचित किया गया था । इससे पहले, इस अध्यादेश को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दी थी । ‘तलाक-ए-बिद्दत’ के नाम से प्रचलित एक बार में तीन तलाक की प्रथा में एक मुस्लिम शौहर एक ही बार में तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है ।
तीन तलाक गैरकानूनी, तीन साल तक की सजा
केंद्र सरकार ने पिछले महीने जारी अध्यादेश के अंतर्गत तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित करते हुए इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा है । ऐसा करने पर पति को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है । हालांकि इस कानून के दुरुपयोग की आशंका को दूर करते हुए सरकार ने इसमें आरोपी के लिए जमानत का प्रावधान करने जैसे कुछ सुरक्षा उपाय भी किए हैं ।
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फ्लोर टेस्ट से पहले देवेंद्र फडणवीस कर सकते हैं विधानसभा भंग करने की सिफारिश!

अभय सिन्हा
लखनऊ। महाराष्ट्र में सियासी गणित रातोंरात बदल गया है। शुक्रवार तक लगभग तय हो गया था कि कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना मिलकर सरकार बनाने जा रही है। शनिवार सुबह बीजेपी ने शतरंज की जीती बाजी वाले मोहरे अपने तरफ कर लिये और तड़के सुबह देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। यह सब संभव हुआ एनसीपी के अजित पवार के कारण, उन्होंने भी आज उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
हालांकि, एनसीपी एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का कहना है कि हमने बीजेपी को समर्थन नहीं दिया है। यह अजित पवार का निजी फैसला है। शरद पवार का कहना है कि अजित पवार के इस फैसले के साथ न तो पार्टी है न कार्यकर्ता हैं और न ही विधायक हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी अपना बहुमत सिद्ध नहीं कर पाएगी क्योंकि उसके पास नंबर नहीं हैं। जिन 54 विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी अजित पवार के पास है, उसमें से केवल 10 या 11 ही विधायक उनके साथ गए हैं साथ ही इन विधायकों को दल-बदल कानून के बारे में पता होना चाहिए।
बहुमत के लिए चाहिए इतने विधायक
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सदस्य हैं। राज्य में चुनाव के बाद बीजेपी के पास 105, शिवसेना के पास 56, एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं। इसके अलावा बहुजन विकास अघाड़ी के खाते में तीन सीटें हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमिन, प्रहर जनशक्ति पार्टी और समाजवादी पार्टी को दो-दो सीटें हैं। वहीं 13 निर्दलीय उम्मीदवार हैं। बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत है।
बीजेपी कितनों को ला पाएगी पाले में?
यह बहुत ही मुश्किल गणित है। जो दावा किया जा रहा है उसके अनुसार अजित पवार के पास एनसीपी के 54 न सही पर काफी विधायक हैं। वहीं, बीजेपी का कहना है कि उसके पास निर्दलीय विधायक भी हैं। लेकिन शरद पवार के यह कहने के बाद कि एनसीपी बीजेपी को समर्थन नहीं दे रही है तब क्या अजीत पवार उतने नंबर ला पाएंगे जितने कि बीजेपी को जरूरत है? दल-बदल कानून के तहत ऐसे किसी भी उलटफेर के लिए दो तिहाई विधायकों की जरूरत होती है यानि कि अजित पवार को 36 विधायक चाहिएं। अगर ऐसा हो जाए तो बीजेपी 105, अजित पवार 36 और निर्दलीय 13 मिलकर 154 हो जाएंगे जो कि बहुमत से ज्यादा है। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो पार्टी से अलग हुए अजित पवार के समर्थन वाले विधायकों को दल-बदल कानून का शिकार होना पड़ेगा। माना जा रहा है कि फिलहाल अजित पवार इस स्थिति में नहीं है कि इतनी बढ़ी संख्या में शरद पवार से विधायक तोड़ सकें।
जब नंबर नहीं तो क्यों बनाई सरकार?
शरद पवार की अगर यह बात मान ली जाए कि बीजेपी के पास नंबर नहीं है और एनसीपी का साथ भी नहीं है तब आखिर बीजेपी ने सरकार क्यों बनाई है? कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना का कहना है कि बीजेपी फ्लोर टेस्ट में फेल हो जाएगी। लेकिन फेल तो तब होगी जब वो फ्लोर टेस्ट के लिए जाएगी। शायद बीजेपी को भी ये बात पता हो कि बहुमत के लिए जरूरी नंबर वो नहीं जुटा सकती है। यही वजह है कि उसने सरकार बना ली है और अब सूत्र बताते हैं कि बीजेपी फ्लोर टेस्ट से पहले ही राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर देगी। जी हां, बीजेपी दोबारा चुनाव करवाना चाहेगी। संविधान विशेषज्ञ डॉ. प्रत्यूष मणि त्रिपाठी भी इस बात से इनकार नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि, ‘ऐसा संभव है। शपथ लेने के बाद अब देवेंद्र फडणवीस विधिवत मुख्यमंत्री हो गए हैं। ऐसी स्थिति में बिना बहुमत सिद्ध किये हुए भी वो राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं।’
राम मंदिर की पहली फसल कटेगी महाराष्ट्र में!
आकड़ों का गणित तो यही कह रहा है कि बीजेपी ने कोई स्थायी सरकार देने लिए यह पूरा खेल नहीं खेला है बल्कि दोबारा चुनाव कराने के लिए ही सीएम फडणवीस ने शपथ ली है। बीजेपी राज्यपाल से अब यह सिफारिश कर सकती है कि वो दोबारा राज्य में चुनाव कराने का आदेश दें। ऐसा इसलिए है कि अगर एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना मिलकर सरकार बना लेते तो बीजेपी को पांच साल राज्य की सत्ता से बाहर रहना पड़ेगा। दोबारा चुनाव होने पर बीजेपी को उम्मीद है कि वो राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को तगड़े से भुना लेगी। रामलला के नाम पर रामभक्त बीजेपी को लंका फतह करा देंगे। बीजेपी राज्य में वनवास से बच जाएगी। इसमें फायदा शिवसेना का कांग्रेस के साथ जाना भी करेगा। दोबारा चुनाव होने पर बीजेपी घूम-घूम कर कह सकती है कि देखिये साहब हमने वादा किया था कि अगर सत्ता में आए को मंदिर वहीं बनाएंगे और हमने अपना वादा पूरा किया। लेकिन देखिये शिवसेना को महज सत्ता की खातिर इन्होंने उन लोगों से हाथ मिला लिया जिन्होंने भगवान राम को काल्पनिक कहा था। http://www.satyodaya.com
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महाराष्ट्र की सियासत पर राजनेताओं ने शायरी से किया वार, लिखा-कुछ ऐसा….

फाइल फोटो
मुंबई। महाराष्ट्र में एक बार फिर भाजपा ने एनसीपी के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली है। जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की तो एनसीपी नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। भाजपा की दोबारा सरकार बनने के बाद देश के नेताओं ने कुछ शायराना अंदाज में अपनी प्रतिक्रियाएं जाहिर की हैं
सबसे पहले NCP नेता नवाब मलिक ने #MaharashtraPolitics पर कई शायरी लिखीं। लेकिन दो लाइनों में ट्विटर यूज़र ने गलतियां पकड़ी और उन्हें सही करते हुए लिखा ‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजू-ए-क़ातिल में है!
कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी के बाद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी महाराष्ट्र में चल रही राजनीति पर कुछ लाइनें शेयर कीं हैं।
वहीं शिवराज सिंह चौहान ने भी शिवसेना पर तंज कसते हुए लिखा,
‘न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के हुए न उधर के हुए’

भाजपा की सरकार बनने के बाद जुगलबंदी में बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी तंज कसते हुए लिखा, ‘आधी छोड़ साजी को धावे आधी मिले ना पूरी पावे’

ऐसे में हम आपको बता दें इन नेताओं से पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने भी कई सारी शायरियां की हैं।http://www.satyodaya.com
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महाराष्ट्र में BJP की सरकार बनने के बाद शाह की सोशल मीडिया पर यूजर्स ने की तारीफ

फाइल फोटो
मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रहे अटकलों के बीच शनिवार सुबह विराम लग गया। महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी ने मिलकर रातोंरात सरकार बना ली। ऐसे में एक बार फिर बीजेपी के देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री बने तो वहीं एनसीपी के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा है कि अजित पवार ने उनसे बिना बात किये बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक जहां शुक्रवार रात तक महाराष्ट्र के इस राजनीतिक घमासान के बीच से बीजेपी बिल्कुल गायब दिख रही थी वहीं शनिवार सुबह देवेंद्र फड़णवीस के सीएम बनने के बाद सोशल मीडिया में अमित शाह को नए जमाने का चाणक्य बताया जा रहा है। सरकार बनने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स शिवसेना की चुटकी लेते हुए अमित शाह की तारीफों के पुल बांधते नहीं थक रहे हैं। ट्वीट देखिए यूजर्स ने अमित शाह के लिए क्या-क्या लिखी बातें।
बता दें कि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था। बीजेपी विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी। बीजेपी को यहां पर 105 तो वहीं शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। दोनों की मिलाकर 161 सीटें मिलीं जबकि सरकार बनाने के लिए 146 सीटें ही जरूरी थीं। लेकिन शिवसेना ने तेवर दिखाते हुए बीजेपी से सीएम बनने की मांग करते हुए गठबंधन तोड़ लिया।
ये भी पढ़ें:NCP नेता नवाब मालिक ने अजित पवार पर धोखा देने का लगाया आरोप, कही ये बात…
हालांकि गठबंधन टूटने के बाद सरकार बनाने के लिए शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ बातचीत शुरू हो चुकी थी। कई बार तो लगा कि महाराष्ट्र में दोबारा चुनाव करवाने पड़ सकते हैं हालांकि बीते शुक्रवार को इस तरह की खबरें आने लगीं कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाएगी। जिसके बाद उद्धव ठाकरे सीएम पद की शपथ लेंगे।
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लेकिन शनिवार की सुबह का नजारा कुछ और ही बयाँ कर रहा था। जहां एक तरफ खबर छप गईं कि उद्धव महाराष्ट्र के अगले सीएम होंगे। वहीं दूसरी तरफ हुआ कुछ उल्टा। शनिवार सुबह बीजेपी ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। 8 बजे तक फड़णवीस ने सीएम और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री की शपथ भी ले ली।http://www.satyodaya.com
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